स्वरोजगार the digital india

Digital India Project 
भारत को डिजिटल इंडिया के रुप में विकसित करने हेतु हमारी कंपनी स्वरोजगार नामक संस्था के द्वारा सभी 10वीं पास छात्र-छात्राएं एवं घरेलू महिलाएं को डिजिटल इंडिया के माध्यम से स्वरोजगार प्रदान करने का कार्य करती है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति आसानी से ₹10000 से लेकर ₹50000 प्रति माह तक घर बैठे कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करके कमा सकता है हम पूर्णतया सुनिश्चित करते हैं कि कि कोई भी व्यक्ति डिजिटली रूप से ज्ञान प्राप्त कर हमारे यहां से 100 रोजगार के नए उपाय के बारे में जान करके उस पर अमल करके अपने तथा अपने आसपास के लोगों की मदद करते हुए आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकता है और आसानी से युवा बिना किसी के ऊपर बोझ बने 10,000 से लेकर के ₹50000 तक प्रति माह का रोजगार प्राप्त कर सकता है आइए मिलकर हम सभी स्वरोजगार कंपनी की कार्यों में एक दूसरे की मदद करें


नीचे हम कुछ पुराने ढर्रे वाले स्वरोजगार के बारे में बताए हैं जिन पर आप खुद से अपनी राय दे सकते हैं धन्यवाद


पढ़ार्इ को पूर्ण करने के पश्चात् आप अपने जीविकोपार्जन के लिए कुछ ना कुछ कार्य करते हैं। साथ ही कार्य के बदले आपको मुद्रा अर्थात रूपये पैसे चाहिए होता है। इसे प्राप्त करने के लिए आप स्वयं रोजगार करते हैं। वही स्वरोजगार होता है। अर्थात् छोटी दकुाने दर्जी कि दुकान ब्रडे की दुकान सले नु स्थानीय बाजार में चला सकते है।। इस प्रकार आप अपना रोजगार स्वयं कर सकते हैं।

जीवन के लिए धनोपार्जन आवश्यक है। धनोपार्जन हेतु लोग मेहनत मजदूरी तथा नौकरी पेशा आदि कार्य करते हैं। किन्तु स्वयं के व्यवसाय आरम्भ कर उसका प्रबन्ध करना तथा तन मन से सफलता पूर्वक संचालन करना एवं लाभ हानि का भागीदारी स्वयं होना ही स्वरोजगार कहलाता है। अर्थात् स्वयं के कार्य करके धनोपार्जन करना ही स्वरोजगार कहेंगे।

स्वरोजगार की विशेषताए

  1. स्वयं का व्यवसाय होना  
  2. व्यवसाय का प्रबन्ध एक ही व्यक्ति द्वारा होना आवश्यकता पड़ने पर सहायक के रूप में एक या दो व्यक्ति को रखना इस प्रकार स्वरोजगार अन्य लोगो को भी रोजगार कहता है। 
  3. स्वराजे गार में आय निश्चित नहीं होती। यह वस्तअुो के उत्पादन, कय्र -विक्रय या फिर मूल्य के बदले दूसरों को सेवाए प्रदान करने से प्राप्त आय पर निर्भर करती हेैं। 
  4. स्वरोजगार में स्वामी लाभ स्वयं लेता है और हानि का जोखिम भी स्वयं ही उठाता है। इस प्रकार स्वरोजगार में प्रयत्न एवं पारितोषिक में प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। 
  5. स्वरोजगार के लिए पूजी की आवश्यकता होती है चाहे यह छोटी मात्रा में ही हो। 
  6. स्वरोजगार में व्यक्ति, व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने एवं व्यवसाय के विस्तार के लिए मिलने वाले अवसरों का लाभ उठाने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। इसमें व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कानूनों की परिधि में कायर् करने की पूर्ण स्वतत्रं ता है।

    स्वरोजगार का महत्व

    जीवनवृत्ति जीविकोपार्जन का एक तरीका है। स्वरोजगार भी जीवनवृत्ति है क्योंकि कोर्इ भी व्यक्ति व्यवसाय या सेवा कार्यों से अपनी जीविका के लिए कमा सकता है। बरोजगारी में वृद्धि तथा नाकै रियों के पर्याप्त अवसर न मिलने के कारण स्वरोजगार का महत्व अधिक हो गया है। स्वरोजगार के महत्व के अंतर्गत निम्नलिखित बातें गिनी जा सकती हे।

    छोटे व्यवसाय के लाभ-बड़े व्यवसायों की तुलना में छोटे व्यवसाय के अनेक लाभ हैं। इसे छोटी पूजी के निवेश से प्रारम्भ किया जा सकता है तथा इसको प्रारम्भ करना सरल भी है। छोटे पैमाने की क्रियाओं का स्वरोजगार बड़े पैमाने के व्यवसाय का अच्छा विकल्प है जिसमें वातावरण प्रदूषण, गंदी बस्तियों का विकास, कर्मचारियों के शोषण जैसी कर्इ बुराइयां आ गर्इ हैं।

    नौकरी के स्थान पर प्राथमिकता-नौकरी में आय सीमित होती है जबकि स्वरोजगार में इसकी कोर्इ सीमा नहीं है। स्वरोजगार में व्यक्ति अपनी प्रतिभा का अपने लाभ के लिए प्रयोग कर सकता है। वह निर्णय जल्दी एवं सरलता से ले सकता है। ये वे ठोस पे्ररक तत्व है। जिनके कारण कोर्इ भी व्यक्ति नौकरी के स्थान पर स्वरोजगार को प्राथमिकता देगा।

    उद्यमिता की भावना का विकास-उद्यमिता जोखिम उठाने का दूसरा नाम है क्योंकि उद्यमी नए उत्पाद तथा उत्पादन तथा विपणन की नर्इ पद्धति खोजता है। जबकि स्वरोजगार में या तो कम अथवा कोर्इ जोखिम नहीं होता। लेकिन जैसे ही स्वरोजगार में लगा व्यक्ति कुछ नया सोचता है तथा अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए कदम उठाता है तब वह उद्यमी बन जाता है। इस प्रकार स्वरोजगार उद्यमिता के लिए अवतरण मंच बन जाता है।

    व्यक्तिगत सेवाओं का प्रवर्तन-स्वरोजगार में व्यक्तिगत सेवाएं जैसे दर्जी का काम, कारीगरी, दवाओं की बिक्री, आदि कार्य भी सम्मिलित हैं। ये सेवाएं उपभोक्ता सन्तुष्टि में सहायक होती हैं। इन्हें व्यक्ति आसानी से शुरू कर निरंतर चला सकता है।

    सृजनता का अवसर-स्वरोजगार में कला एवं कारीगरी में सृजनात्मकता तथा कलात्मकता के विकास का अवसर मिलता है जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए हस्तकला, हस्तशिल्प, इत्यादि में हम सृजनात्मक विचारों का स्पष्ट झलक देख सकते हैं।

    बेरोजगारी की समस्या में कमी-स्वरोजगार करने से बेरोजगारी दूर होती है। एवं आय में वृद्धि होती है। साथ ही साथ राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

    उच्च शिक्षा की सुविधाओं से वंचीत लोगों के लिए वरदान कम पढ़े लिखे लोगों के लिए स्वरोजगार एक प्रकार से वरदान है।

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